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धरोहर का अर्थ क्या है।

Updated: Jan 7, 2023

धारोहर एक हिंदी शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ "विरासत" है। यह अक्सर सांस्कृतिक या पारंपरिक प्रथाओं और ज्ञान को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है जो पीढ़ियों चला आ रहा हैं। हिंदुस्तानी संस्कृत हमें विरासत में मिली हैं आज कही विलुपत होती जा रही हैं। हमें भारतवंशी होने के नाते अपनी इस विशाल धारोहर को न सिर्फ संभल के रखना है अपितु इसे निरंतर आगे बढ़ाने में कार्यरत होना हैं।




हमारी संस्कृत हमारी धरोहर


आज भारत अगर विश्व गुरु बनने का सपना देख रहा हैं तो सिर्फ अपनी इस विशाल विरासत के बदले ही देख रहा हैं जो हमें हमारे पूर्वजो से मिली हैं। लेकिन भारत के अधिकांश युवा अपनी इस विशाल धरोहर से वंचित हैं वो अपनी संस्कृत का मजाक उड़ा कर पश्चिमी देशो की संस्कृत को अपना रहे हैं अगर ऐसा ही चलता रहा तो धीरे धीरे हम सबका प्यार भारत अपनी संस्कृत को कही खो देगा जो सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पुरे विश्व के लिए एक बहुत बड़ी छति होगी जिसे फिर कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा


आप सब भी इस बात से भली भांति परिचित होंगे। अपने भी इन चीजों को वक़्त के साथ महसूस किया होगा ऐसी बहुत सी संस्कृतिक रस्मे होंगे जो आपने अपने बचपन में देखी होंगी और ऐसे बहुत से तीज त्यौहार होंगे जो अपने अपने बचपन में बहुत ही उत्साह के साथ मनाये होंगे। पर जैसे जैसे आप बड़े हो रहे हैं अपने महसूस किया होगा की अब वे सारी रस्मे, तीज, त्यौहार धीर धीर काम होते जा रहे हैं और अब विलुप्ति के कगार पे खड़े हो गए है। ऐसा ज्यादा तर गांव में रहने वाले लोगो ने महसूस किया होगा और इन सब चीजों को लेकर आप कभी- कभी चिंतित भी होते होंगे जो आपको अंदर ही अंदर से झिंझोड़ती होगी।


भारतीय संस्कृत


भारत एक शांति प्रिय देश हैं ये ही वजह हैं की भारत में अनेक धर्म और सम्प्रदाय के लोग मिल कर रहते हैं और भारत एक लोकतांत्रिक देश होने के कारण यह पर किसी भी एक वयक्ति, धर्म अथवा सम्प्रदाय का शासन नहीं है। पर वही दूसरी और भारत की जनसख्या बहुत अधिक है जो भारत की एक प्रमुख समस्या भी इसी वजह से भारत में रोजगार दर कम और गरीबी के कारण लोग अन्य देशो में जाकर धन अर्जित कर रहे हैं। जिस वजह से भारत में वहाँ की संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा हैं जो अछि बात हैं परन्तु अपनी संस्कृति को ही भूल जाना ये बिलुकल भी ठीक नहीं हैं और यह बात परन्तु अब धीरे - धीरे लोगो को यह बात समझ में आ रही हैं। और लोग अपनी संस्कृति और अपनी बोली और अपनी रहन सहन को बढ़ावा दे रहे है। भारतीय संस्कृत हमेसा "वसुधैव कुटुम्बकम् " पर आधारित रही हैं जिसका अर्थ हैं "पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है।" ये ही वजह हैं की आज विदेशो में भारतीयो को एक अलग ही इज्जत की निगाहो के साथ देखा जाता हैं जो भारतीय संस्कृत और भारत के लिए गौरव की बात है।


धरोहर एरोमा

धरोहर एरोमा एक सम्पूर्ण भारतीय कंपनी हैं जो प्राकृतिक अगरबत्तियां और धुप बनती हैं। धरोहर आपको अच्छी कीमत पे सुगन्धित धुप बत्ती और अगरबत्ती प्रदान करती हैं। यह कंपनी उच्च गुणवक्ता वाली अगरबत्ती बनाने के साथ भारतीय संस्कृत और उसके धरोहर को बढ़ावा देती हैं। हमारे सारे उत्त्पाद भारतीय संस्कृत के साथ जुड़े हैं। हमारे सारे उत्पादो की पेकिंग हम कागज से होने वाले कचरे से करते हैं जिससे हमारी प्रकृति को होने वाले नुकसान को कम कम किया जा सके। हमारी अगबत्ती का निर्माण हम भारत में सताब्दियों चले आ रहे परम्परा hand rolled (हाथ से बनाई हुई अगरबत्ती )


हम भारत में शताब्दियों चले आ रहे परम्परा हाथ से बनाई हुई अगरबत्ती की तर्ज पे करते हैं जो भारत की एक अनमोल धरोहर लुप्त होने से बचने की तरफ हमरा एक छोटा सा प्रयास हैं। और इससे उन लोगो की आर्थिक आय में भी वृद्धि होगी जिससे उनके जीवन में एक बेहतर सुधर आएगा




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